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सवाल साख खोने-बचाने का

rahi
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पश्चिम बंगाल की सरकार अभी आर्थिक विसंगतियों से जूझ रही है। वह बड़े पैमाने पर बकाया के बोझ तले भी दबी हुई है, जबकि विकास कार्यों में वित्तीय मदद देने वाले तमाम बैंकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इन्होंने कोई भी नया ऋण देने से पहले पुराने कर्ज को लौटाने की शर्त रखी है। केंद्र ने भी इनके सुर में सुर मिलाते हुए बैंकों को कहा है कि वे बंगाल सरकार को किसी प्रकार की आर्थिक मदद देने से पहले केंद्र सरकार से बात करना नहीं भूलें। अर्थात, चौंतीस साल से इस प्रदेश की सत्ता पर काबिज वाममोर्चा सरकार कमोवेश अपनी साख खो चुकी है। उस पर विभिन्न बैंकों की भारी देनदारी खड़ी है। राज्य में फिलहाल एक व्यक्ति पर 18 हजार रुपये का कर्ज है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों को देखें तो राज्य सरकार पर अभी विभिन्न बैंकों की एक लाख, अरसठ हजार, नौ सौ चौरासी रुपये की देनदारी है, जो अगले वित्तीय वर्ष में बढ़कर करीब दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की उम्मीद है। राज्य के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और उनके वित्त मंत्री असीम दास गुप्ता भले ही इसे सामान्य बात कहते हुए जल्द सबकुछ ठीक हो जाने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी इससे खासी चिंतित हैं। वह अपनी हर सभाओं में कह रही हैं कि वामो सरकार पूरी तरह से दिवालिया हो गयी है। ऐसे में अगली सरकार के लिए राहें आसान नहीं हैं। तृणमूल विधायक दल नेता पार्थ चटर्जी इससे थोड़ा और आगे बढ़कर कहते हैं, सत्ता परिवर्तन होने पर सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि माकपा प्रतिमाह लगभग डेढ़ लाख पूर्णकालिक सदस्यों को वेतन देने के लिए राशि कहां से लाती है? उनका आरोप है कि सरकारी धन का माकपा नेताओं ने जमकर दुरुपयोग किया और पार्टी के कार्यों में लगाया। उधर, राज्य सरकार के नियंत्रण वाली विद्युत वितरण कम्पनी डब्ल्यूबीएसईडीसी पर वित्तीय बोझ लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न नगरपालिकाओं व कई सरकारी दफ्तरों पर एक अरब से अधिक की राशि बतौर बिजली बिल बकाया है। इसका भुगतान कब और कैसे होगा? किसी को पता नहीं। इसी तरह बिजली चोरी बढऩे से भी भारी आर्थिक चोट पहुंच रही है। आसनसोल और खडग़पुर बिजली चोरी के बड़े केंद्र के तौर पर उभरे हैैं। यहां हर साल करोड़ों की बिजली चोरी होती है। यह सब और कुछ नहीं, आर्थिक प्रबंधन में बदइंतजामी का नतीजा है। यदि इसको शीघ्र नहीं सुधारा गया तो आगे और विकट स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

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